एहसास वह है
बिछड़ने का ख्याल जब ज़हन में आया , रिश्तों के टूटने का खौफ दिल पे छाया,
कुछ बातों के मतलब अक्सर झिंझोर देते है, फिर बेआवाज़ टूट ते रिश्ते सदायें देते हैं!
हर पल जिस को बनाने की चाह सब करते हैं,
वो एहसास प्यार का पल भर में तोड़ देते हैं!
उस बहाव में आ कर बिखेर देते हैं जिसे वक़्त की मौज ले जाती है,
जिन्हे किनारा शायद फिर कभी नहीं मिलता!
तनहा छूटे उन पत्तों का क्या?
जो तूफ़ान में अपना वजूद खो देते हैं न फिर दरख्तों का साया और न ही हवा के झोंके का,
जो बस गुमनामी देते हैं!
कौन बताये उनका क्या नसीब होगा?
जो हालात से समझौता कर लेते है, न फिर ज़मीन उनकी होती है और आसमान भी मुंह मोड़ लेते हैं!
हम उन् पत्तों में अपना वज़ूद झाँक लेते है, वक़्त जैसे चलता है चलते हैं!
कल अंजाम क्या होगा, खौफ नहीं पर एहसास उनके दिल से मिट जायेगा मान लेते हैं!
होते हैं ऐसे भी, जो खुद को संभाल कर कुछ तूफानों से खुद को बचा लेते है,
पर शायद मुझमें उन् पत्तों की तरह ताकत नहीं,
नi दरख्तों को पकड़ने की, और नI ही तूफ़ान के साथ चलने की,
जो कुछ दूर ले जा कर अपना दामन खींच लेते हैं!
आज समझने में मुझे कोई भूल कर रहा है, पर किस्मत सवरने पर हमे यकीन है,
उसे एहसास होगा, वो गम उसकी तक़दीर बना गए,
पर वक़्त रहते उन्हें हमसे अलग बना गए!
किस-किस रिश्ते की डोर को पकड़ूँ,
शायद हर कोई मुझसे छूटने की तम्मना लिया दौड़ना चाहता है!
मुक्कदर बनाने को बदकिस्मती छोड़ना चाहता है!
न चला है न चलेगा माना तक़दीर पर ज़ोर किसी का,
पर उस एहसास का क्या करे जो आंसूं बन कर बह जाना चाहते है,
क्या कहूँ?,
क्या ये एहसास भी मेरे अपने नहीं है?
जो मुझको छोड़ कर जाना चाहते है!
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